New Reverse Repo Rate Cut 2020 –
कोरोना प्रभावित अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कई बड़े फैसलों का ऐलान किया। सिस्टम में नकदी बढ़ाने से लेकर रिवर्स रेपो रेट में एक महीने के भीतर दूसरी बार कटौती की गई है।
कोविड-19 महामारी के बढ़ते प्रभावों से मुकाबला करने के लिए RBI ने बैंकों की रिवर्स रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती कर दी है। Reverse Repo Rate को तत्काल प्रभाव से 0.25 प्रतिशत घटाकर 3.75 प्रतिशत कर दिया गया है। Repo Rate को बरकरार रखा गया है।
रिवर्स रेपो रेट क्या है? (What is Reverse Repo Rate)
दिनभर के कामकाज के बाद बैंकों के पास जो रकम रकम बच जाती है उसे भारतीय रिजर्व बैंक में रख देते हैं। इस रकम पर रिजर्व बैंक उन्हें ब्याज देता है। भारतीय रिजर्व बैंक इस रकम पर जिस दर से बैंकों को ब्याज देता है, उसे रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) कहा जाता है।
Definition: Reverse Repo Rate is the rate at which the Reserve Bank of India (RBI) borrows money from commercial banks within the India. It is a monetary policy instrument which can be used to control the money supply in the India.
क्या फायदा है रिवर्स रेपो रेट में कटौती का ? (What is the benefit of Reverse Repo Rate reduction?)
Reverse Repo Rate (रिवर्स रेपो रेट) में कमी का मतलब है कि बैंकों को अपना अतिरिक्त पैसा रिजर्व बैंक के पास जमा कराने पर कम ब्याज मिलेगा। बैंक अपनी नकदी को रिजर्व बैंक के पास रखने को कम इच्छुक होंगे। इससे उनके पास नकदी की उपलब्धता बढ़ेगी। बैंक अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों को अधिक कर्ज देने को प्रोत्साहित होंगे। बैंक अपने अतिरिक्त धन को रिजर्व बैंक के पास जमा कराने की बजाय लोन में बांटकर अधिक ब्याज कमाने पर जोर देंगे। बैंक लोन पर ब्याज दरों में कटौती भी कर सकते हैं।
The reduction in reverse repo rate means that banks will get less interest on depositing their excess money with the Reserve Bank. Banks will be less willing to hold their cash with the Reserve Bank immediately. This will increase the availability of cash with them. Banks will be encouraged to lend more to the productive sectors of the economy. Banks will insist on earning more interest by distributing loans instead of depositing their surplus money with the Reserve Bank. Banks can cut interest rates on loans.
Fix Diposit (FD) पर ब्याज दरों में कटौती हो सकती है (There may be a cut in interest rates on FD)
RBI की ओर से घोषित कदमों से बैंकों में जमा राशि पर ब्याज दरों में कमी का दबाव बनेगा। जानकारों के मुताबिक, बैंक एक बार फिर जमा और एफडी पर ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं। पहले ही बैंक जमा पर ब्याज दरों में काफी कटौती कर चुके हैं।
The steps announced by RBI to increase liquidity in the system will put pressure on banks to reduce interest rates on deposits. According to experts, banks can once again cut interest rates on deposits and FDs. Banks have already cut interest rates on deposits significantly.
Reverse Repo Rate से अलग रिजर्व बैंक के कुछ महत्वपूर्ण बडे फैसले
Reverse Repo Rate से अलग भी RBI ने कुछ महत्वपूर्ण अन्य बडे फैसले भी किये हैं जिनके बारे में नीचे विस्तृत रूप में समझाया गया है।
रिजर्व बैंक देगा एनबीएफसी को मदद (Reserve Bank will help NBFCs)
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि सरकारी व्यय बढ़ने और RBI द्वारा नकदी बढ़ाने के लिए किए गए विभिन्न उपायों से बैंकिंग प्रणाली में अधिशेष तरलता बढ़ी है। केंद्रीय बैंक इसके साथ ही लक्षित दीर्घकालिक रेपो परिचालन (TLTRO) के जरिए अतिरिक्त 50,000 करोड़ रुपये की राशि आर्थिक तंत्र में उपलब्ध कराएगा। यह काम किस्तों में किया जाएगा।
उन्होंने कहा, ”TLTRO 2.0″ के तहत बैंकों में प्राप्त धनराशि को निवेश श्रेणी के बांड, वाणिज्यिक पत्रों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के गैर परिवर्तनीय ऋण पत्रों में निवेश किया जाना चाहिए, जिसमें कुल प्राप्त धनराशि में से कम से कम 50 प्रतिशत छोटे और मझोले आकार के एनबीएफसी और सूक्ष्म वित्त संस्थानों (MFI) को मिलना चाहिए।
The RBI governor said that surplus liquidity in the banking system was increased by various measures taken to increase government expenditure and to increase cash by RBI. The central bank will also provide an additional Rs 50,000 crore to the financial system through targeted long-term repo operations (TLTRO). This work will be done in installments.
He said, funds received in banks under “TLTRO 2.0” should be invested in investment-class bonds, commercial papers and non-convertible debentures of non-banking financial companies (NBFCs), with at least 50 percent of the total received. And medium-sized NBFCs and microfinance institutions (MFIs) should meet.
राज्यों के लिए 60 फीसदी तक अग्रिम सुविधा (Up to 60% advance facility for states)
दास ने राज्यों पर खर्च के बढ़ते दबाव को देखते हुए उनके लिए अग्रिम की सुविधा को 60 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है। इससे राज्यों को इस कठिन समय में संसाधन उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी। अभी तक इसके लिए 30 प्रतिशत की सीमा थी। रिजर्व बैंक ने राज्यों के उनके खर्चों के लिए अग्रिम की सीमा को 31 मार्च 2020 की स्थिति के ऊपर बढ़ाते हुए उन्हें 1 अप्रैल से 30 सितंबर 2020 तक बढ़ी हुई 60 प्रतिशत की सुविधा प्रदान की है।
Das has increased the facility of advance for them by 60 percent, given the increasing pressure of spending on the states. This will help the states to provide resources in these difficult times. Till now there was a 30 percent limit for this. The Reserve Bank has extended the facility of 60 per cent to the states from April 1 to September 30, 2020, raising the limit of advances for their expenses to 31 March 2020.
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